चोंखापा (Tsong-kha-pa, 1357 - 1419) तिब्बती बौद्ध धर्म के महान सुधारक थे। उन्होंने मठों के अनुशासन के कड़ाई से पालन की वकालत की और बौद्ध दर्शन और तांत्रिक साधना के कई गूढ़ विषयों को स्पष्ट किया। उनके बाद शुरू हुई गेलुग्पा परम्परा तिब्बत में बौद्ध धर्म की प्रमुख धारा बन गई।
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