थेरवाद दीक्षा परम्परा का इतिहास
डा. अलेक्ज़ेंडर बर्ज़िन
तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में थेरवाद मठीय अभिषेक श्रीलंका और म्याँमार पहुँचे। बाद की शताब्दियों में इसे एक संक्षिप्त दमन के पश्चात म्याँमार से श्रीलंका में पुनः स्थापित किया गया, श्रीलंका से इसे थाईलैंड तक पहुँचाया गया, और फिर थाईलैंड से कंबोडिया और कंबोडिया से लाओस तक फैलाया गया।