आध्यात्मिक गुरुजन

बौद्ध शिक्षाओं को तभी प्रामाणिक माना जाता है जब उन्हें सिद्ध आचार्यों की अनवरत श्रृंखला के माध्यम से बुद्ध की शिक्षाओं के रूप में प्रमाणित किया जा सके। जब हम उनकी प्रामाणिकता को लेकर आश्वस्त होंगे तो फिर हम यह जानते हुए कि इन शिक्षाओं को सही ढंग से समझ कर सही प्रयोग करते हुए वांछित लाभकारी परिणाम हासिल कर सकेंगे, उन शिक्षाओं का अनुशीलन करने के लिए प्रयत्न करेंगेबौद्ध शिक्षाओं को तभी प्रामाणिक माना जाता है जब उन्हें सिद्ध आचार्यों की अनवरत श्रृंखला के माध्यम से बुद्ध की शिक्षाओं के रूप में प्रमाणित किया जा सके। जब हम उनकी प्रामाणिकता को लेकर आश्वस्त होंगे तो फिर हम यह जानते हुए कि इन शिक्षाओं को सही ढंग से समझ कर सही प्रयोग करते हुए वांछित लाभकारी परिणाम हासिल कर सकेंगे, उन शिक्षाओं का अनुशीलन करने के लिए प्रयत्न करेंगे।

शाक्यमुनि बुद्ध

शाक्यमुनि बुद्ध एक महान गुरु हुए जिनका जन्म भारत में 2500 वर्ष पहले हुआ था, और ज्ञानोदय प्राप्ति के बाद दूसरों को भी ज्ञानोदय प्राप्ति का मार्ग दिखाने का कार्य किया।

नागार्जुन

नागार्जुन एक पथप्रणेता भारतीय आचार्य थे जिन्होंने शून्यवाद के विषय पर बुद्ध की शिक्षाओं की व्याख्या की।

आर्यदेव

आर्यदेव नागार्जुन के प्रमुख शिष्य थे। उन्होंने नागार्जुन की शून्यता की शिक्षा की विस्तार से व्याख्या की।

शांतिदेव

शांतिदेव (8वीं शताब्दी) तिब्बत की सभी परम्पराओं में पाई जाने वाली बोधिसत्व की शिक्षाओं, विशेषतः छह पारमिताओं की साधना की शिक्षाओं का भारतीय स्रोत थे।

अतिशा

अतिशा ने तिब्बत में बौद्ध धर्म के अस्थायी ह्रास के बाद भारत से तिब्बत में एक बार पुनः बौद्ध धर्म का प्रसार किया।

चौदहवें दलाई लामा

वर्ष 1989 के नोबल शांति पुरस्कार विजेता तथा विश्व में अहिंसा और करुणा के प्रतीक चौदहवें दलाई लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक प्रमुख हैं।

योंगज़िन लिंग रिंपोछे

योंगज़िन लिंग रिंपोछे चौदहवें दलाई लामा और गेलुग्पा परम्परा के आध्यात्मिक प्रमुख 97वें गान्देन त्रिपा के वरिष्ठ निजी शिक्षक थे।

त्सेनशाब सेरकोँग रिंपोछे

त्सेनशाब सेरकोँग रिंपोछे चौदहवें दलाई लामा के प्रधान वाद-विवाद सहयोगी और तिब्बती बौद्ध धर्म के सम्पूर्ण विषय-क्षेत्र के आचार्य थे।

त्सेनशाब सेरकोँग रिंपोछे द्वितीय

त्सेनशाब सेरकोँग रिंपोछे द्वितीय त्सेनशाब सेरकोँग रिंपोछे के "टुल्कु" अवतार हैं।

गेशे ङावंग धारग्ये

गेशे ङावंग धारग्ये लाइब्रेरी ऑफ तिब्बतन वर्क्स एंड आर्काइव्स, धर्मशाला, भारत में पाश्चात्य जन के लिए बौद्ध मत के पथप्रदर्शक शिक्षक थे।
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