बौद्ध शिक्षाओं को तभी प्रामाणिक माना जाता है जब उन्हें सिद्ध आचार्यों की अनवरत श्रृंखला के माध्यम से बुद्ध की शिक्षाओं के रूप में प्रमाणित किया जा सके। जब हम उनकी प्रामाणिकता को लेकर आश्वस्त होंगे तो फिर हम यह जानते हुए कि इन शिक्षाओं को सही ढंग से समझ कर सही प्रयोग करते हुए वांछित लाभकारी परिणाम हासिल कर सकेंगे, उन शिक्षाओं का अनुशीलन करने के लिए प्रयत्न करेंगेबौद्ध शिक्षाओं को तभी प्रामाणिक माना जाता है जब उन्हें सिद्ध आचार्यों की अनवरत श्रृंखला के माध्यम से बुद्ध की शिक्षाओं के रूप में प्रमाणित किया जा सके। जब हम उनकी प्रामाणिकता को लेकर आश्वस्त होंगे तो फिर हम यह जानते हुए कि इन शिक्षाओं को सही ढंग से समझ कर सही प्रयोग करते हुए वांछित लाभकारी परिणाम हासिल कर सकेंगे, उन शिक्षाओं का अनुशीलन करने के लिए प्रयत्न करेंगे।