मृत्यु और आसन्न मरण पर बौद्ध उपदेश

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हम सभी को मृत्यु का सामना करना है, इसलिए हमें उसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। अपनी नश्वरता के प्रति व्यावहारिक दृष्टिकोण रखने से हमें एक परिपूर्ण और सार्थक जीवन जीने में सहायता मिलती है। अधिकाधिक उपयोगी जीवन जी लेने के कारण हम मृत्यु से भयभीत होने के बजाए खुशी-खुशी मृत्यु का सामना कर सकते हैं।

सार्थक जीवन व्यतीत करना

सबसे पहले मैं आप सभी का अभिनन्दन करता हूँ। मेरा विचार है कि आप में से बहुत से लोग बहुत पुराने समय के दोस्त हैं, न बदलने वाले दोस्त हैं। यह बहुत अच्छी बात है।

जब आप लोग यहाँ रहते और पढ़ते थे, तब से तीस-चालीस वर्ष का समय बीत चुका है। हमारे अन्दर शारीरिक बदलाव आए हैं। सामान्यतया, अध्यात्म और ध्यान साधना भी इस प्रक्रिया को नहीं रोक सकते हैं। हम सभी नश्वर हैं, सतत परिवर्तनशील, हर बीतते पल के साथ बदलने वाले; और यही प्रकृति का नियम है। समय सदैव आगे बढ़ता रहता है; कोई शक्ति उसकी गति को रोक नहीं सकती। इसलिए असल प्रश्न यह उठता है कि हम समय का सही उपयोग कर रहे हैं या नहीं। क्या हम समय का उपयोग दूसरों के लिए समस्याएं खड़ी करने के लिए कर रहे हैं, जिसका नतीजा यह होता है कि अन्ततोगत्वा हम स्वयं ही अपने अन्तर्मन में दुख अनुभव करते हैं? मैं समझता हूँ कि समय का प्रयोग करने का यह तरीका अनुचित है।

समय का उपयोग करने का बेहतर तरीका यह है कि हम अपने चित्त को प्रतिदिन उचित प्रेरणा के आधार पर ढालें और फिर दिन भर उसी प्रेरणा से कार्य करें। और ऐसा करने का अर्थ यह हुआ कि यदि सम्भव हो, तो हम दूसरों की सेवा करें; और यदि ऐसा करना सम्भव न हो, तो कम से कम दूसरों को नुकसान पहुँचाने से बचें। इस दृष्टि से विभिन्न व्यवसायों के बीच कोई अन्तर नहीं है। आपका व्यवसाय जो भी हो, आप सकारात्मक प्रेरणा से कार्य कर सकते हैं। और यदि हम इस प्रकार से कार्य करते हुए दिन, सप्ताह, महीने, वर्ष ─ और दशक, सिर्फ़ पाँच-एक वर्ष नहीं ─ बिता दें, तो हमारा जीवन सार्थक हो जाता है। इस तरह कम से कम हम स्वयं अपनी मानसिक दशा को आनन्दमय बनाने के लिए योगदान कर रहे होंगे। देर-सबेर हमारा अन्त भी आएगा, और उस दिन हमें कोई पछतावा न होगा; हमें संतोष होगा कि हमने अपने समय का उपयोग रचनात्मक ढंग से किया।

मैं मानता हूँ कि आप में से बहुत से लोग अपने समय का उपयोग उचित, सार्थक ढंग से करते हैं। ऐसा करना महत्वपूर्ण है।

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