कालचक्र अभिषेक एक ऐसा बौद्ध अनुष्ठान है जो विश्व शांति को बढ़ाने और साधकों को तांत्रिक साधनाओं के लिए तैयार करने के उद्देश्य से किया जाता है। यह अभिषेक दूसरी उन्नत बौद्ध शिक्षाओं से इस दृष्टि से भिन्न है कि यह अभिषेक पारम्परिक तौर पर जनसामान्य को दिया जाता रहा है और इसमें लोग बड़ी संख्या में भाग लेते हैं, और वर्तमान समय में भी यही स्थिति है। जब दलाई लामा भारत में यह अभिषेक देते हैं तो दुनिया भर से लाखों लोग उसमें भाग लेने के लिए जमा होते हैं। लेकिन यह अभिषेक है क्या?
कालचक्र का मतलब “समय का चक्र” होता है और, दरअसल समय हमारा सबसे बड़ा शत्रु है। समय के साथ हम जराजीर्ण हो जाते हैं, अपनी क्षमताएं गँवा देते हैं और मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। यदि हम इसे पुनर्जन्म की दृष्टि से देखें तो ऐसा प्रतीत होता है कि हमें बार-बार और निरंतर इस चक्र से होकर गुज़रते रहना पड़ता है। कितनी खराब बात है! इस जन्म में भी हम हार्मोनों, ऋतुओं, और खगोलीय चक्रों की कृपा पर निर्भर रहते हैं।
कालचक्र की उन्नत ध्यानसाधनाएं हमें समय के पाश से मुक्त होने में सहायता करती हैं। हमारे अपने शरीर में कुछ भी घट रहा हो या हमारे आसपास की दुनिया में कुछ भी घटित हो रहा हो, उस सबके बावजूद हम अपने जीवन को दूसरों की सहायता करने की दिशा में मोड़ने के योग्य बन जाते हैं। जब अलग-अलग पृष्ठभूमि वाले लोगों के बड़े-बड़े समूह प्रेम, करुणा और ज्ञान सीखने के लिए एक साथ एकत्र होते हैं तो वे समय और स्थान की दृष्टि से सद्भाव उत्पन्न करते हैं। दूर-दूर फैले हुए लोगों का कालचक्र अभिषेक के लिए एक स्थान पर एकत्र होना विश्व शांति को बढ़ाने का एक अद्भुत तरीका है।