शाक्यमुनि बुद्ध का जीवन

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हम जिस परम्परा को मानते हैं उसके आधार पर बुद्ध को या तो किसी ऐसे साधारण मानव के रूप में देखा जा सकता है जिसने अपने असाधारण प्रयासों से मुक्ति हासिल की, या फिर ऐसे ज्ञानोदय प्राप्त जीव रूप में देख सकते हैं जिसने ज्ञानोदय का मार्ग प्रशस्त करने के लिए 2,500 वर्ष पहले अपने चमत्कार प्रस्तुत किए। यहाँ हम बुद्ध के जीवन पर एक दृष्टि डाल कर यह समझने का प्रयत्न कर रहे हैं कि हम अपने आध्यात्मिक मार्ग के लिए उनसे किस प्रकार प्रेरणा ले सकते हैं।

भूमिका

शाक्‍यमुनि बुद्ध गौतम बुद्ध के नाम से भी जाने जाते हैं। ऐतिहासिक तिथि-निर्धारण पर उनका जीवन काल मध्‍य उत्‍तरी भारत में ईसा पूर्व 566 से 485 के बीच रहा। बौद्ध स्‍त्रोतों में उनके जीवन के विभिन्‍न विवरण मिलते हैं जिनमें बाद में धीरे धीरे और विस्‍तार आता गया। चूंकि बौद्ध साहित्‍य बुद्ध के परिनिर्वाण के तीन शताब्दियों के बाद ही लिखा गया, अत: इन विवरणों में दिए गए ब्‍यौरों की सच्‍चाई के बारे में निश्चित रूप से कहना कठिन है। इसके साथ ही, मात्र इसलिए कि कुछ वृत्‍तान्‍त लिखित रूप में बाद में प्रकाश में आए उनकी प्रामाणिकता पर प्रश्‍न चिह्न नहीं लगाया जा सकता। कुछ घटनाओं के लिखित रूप से आने के बाद भी कुछ अन्‍य बातों को मौखिक रूप स बताने का क्रम चलता रहा होगा।

इसके अतिरिक्‍त महात्‍मा बुद्ध सहित, महान बौद्ध गुरूओं की पारम्‍परिक जीवनियों का संकलन साधारण रूप से शिक्षा देने के लिए किया गया था न कि ऐतिहासिक अभिलेख तैयार करने के लिए। विशेष रूप से महान गुरूओं की जीवनियों को इस प्रकार से लिखा जाता था कि वे बौद्ध धर्म का पालन करने वालों के लिए मुक्ति तथा संबोधि के मार्ग पर चलने हेतु शिक्षाप्रद तथा प्रेरणादायक बन सकें। इसलिए बुद्ध की जीवन कथा से लाभ उठाने के लिए हमें उन्‍हें इसी संदर्भ में समझना होगा और उनसे मिल सकने वाली शिक्षाओं का विश्‍लेषण करना होगा।

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