ध्यानसाधना: मुख्य बिंदु

अनेक प्रकार की सामान्य ध्यानसाधना होती है। इनमें से किसी भी प्रकार की ध्यानसाधना को प्रभावी ढंग से करने के लिए हमें सटीक और निश्चित तौर पर समझना होगा कि हम कौन सी चित्तावस्था को विकसित करना चाहते हैं। इसके विवरण में इस बात की जानकारी शामिल है कि हम किस बात पर ध्यान केंद्रित करें, इस केंद्रीय लक्ष्य का विवरण क्या है, हमारा चित्त किस प्रकार इसे समझ सकता है, इस अवस्था को विकसित करने में कौन-कौन सी चीज़ें सहायक होंगी, कौन सी चीज़ें बाधक होंगी, एक बार चित्त की इस अवस्था को विकसित कर लिए जाने पर उसका प्रयोग किस प्रकार किया जाना चाहिए और वह चित्तावस्था किन दोषों को दूर करेगी। इसके अलावा हमें ध्यानसाधना के लिए उचित स्थितियों की व्यवस्था करने की भी आवश्यकता होती है, उचित मुद्रा और आसन, और ध्यानसाधना सत्र को शुरू और खत्म करने की रीति को भी जानने की आवश्यकता होती है।

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