अपने और दूसरों के बारे में दृष्टिकोण को समान करने और उसकी अदला-बदली करने
त्सेनशाब सेरकोँग रिंपोछे
ज्ञानोदय प्राप्ति तक पहुँचने और दूसरों की भलाई करने के लिए यह आवश्यक है कि हम हर किसी को अपने बराबर समझें और केवल स्वंय को महत्वपूर्ण समझने के बजाए दूसरे सभी लोगों के महत्व को समझने को अपना मुख्य सरोकार समझें।