ध्यानसाधना के लिए आरम्भिक तैयारी

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ध्यानसाधना के लिए सहायक वातावरण

सही मायने में ध्यानसाधना करने के लिए हमें सहायक परिस्थितियों की आवश्यकता होती है। ऐसे कई कारक हैं जो ध्यानसाधना के लिए सहायक होते हैं, लेकिन सामान्यतया इनकी चर्चा या प्रस्तुति एकांतवास में ध्यानसाधना के संदर्भ में की जाती है, जबकि हममें से अधिकांशतः अपने घरों में ध्यानसाधना करते हैं।

घर पर ध्यानसाधना करने में भी सबसे उपयोगी बात यह होगी कि हमारा ध्यान भंग न हो। वातावरण जितना अधिक हो सके, शांत हो। हममें से बहुत से लोग शोरशराबे वाली सड़कों के पास या यातायात के शोर के बीच रहते हैं, और इसलिए तड़के सुबह या देर रात को, जब यातायात बहुत अधिक नहीं होता है, ध्यानसाधना करना बेहतर होगा। इसके अलावा, वातावरण में पड़ोस वाले कमरे से संगीत या टेलीविजन का शोर भी नहीं होना चाहिए। ये बातें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। यदि शांत वातावरण में ध्यानसाधना कर पाना सम्भव न हो, तो आप शोर को रोकने के लिए कानों में इयरप्लग्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। ये शोर को पूरी तरह से तो नहीं रोक पाते हैं, लेकिन उसके प्रभाव को कम ज़रूर कर देते हैं।

हममें से बहुत से लोग इतने भाग्यशाली नहीं हैं कि उनके पास अलग से ध्यानसाधना कक्ष हो। आपको जो भी स्थान उपलब्ध हो, आप उसका उपयोग कर सकते हैं। यदि आवश्यक हो तो आप अपने बिस्तर पर भी ध्यानसाधना कर सकते हैं, इसमें कोई समस्या नहीं है। भारत में रह रहे ज़्यादातर तिब्बती लोग अपने बिस्तर पर ही ध्यानसाधना करते हैं।

एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि ध्यानसाधना के लिए प्रयोग किया जाने वाला कमरा साफ-सुथरा होना चाहिए। यदि आसपास का वातारवरण साफ-सुथरा हो, तो वह चित्त को स्वच्छ रखने में सहायक होता है। यदि कमरा बेढंगा, अस्तव्यस्त, या गंदा हो तो चित्त के भी वैसा ही होने की प्रवृत्ति होती है। यही कारण है कि ध्यानसाधना से पहले की तैयारियों में से एक आवश्यक तैयारी के रूप में ध्यानसाधना कक्ष की सफाई करने और किसी प्रकार का चढ़ावा चढ़ाने, फिर भले ही वह एक कप पानी ही क्यों न हो, को अवश्य शामिल किया जाता है। हम अपनी ध्यानसाधना के प्रति सम्मान प्रकट करना चाहते हैं, और यदि हम बुद्धों और बोधिसत्वों को भी अपनी ध्यानसाधना के दौरान उपस्थित रहने के लिए आमंत्रित करना चाहते हैं तो फिर हम उन्हें साफ-सुथरे कक्ष में आमंत्रित करना चाहेंगे, किसी अस्तव्यस्त और गंदे कमरे में नहीं। सामान्य मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी, हम जो कार्य कर रहे हैं उसके प्रति सम्मान का भाव रखना और उसे एक विशेष अवसर के रूप में देखना महत्वपूर्ण होता है। “विशेष” से यह तात्पर्य नहीं है कि वहाँ हॉलीवुड की किसी फिल्म के सैट की भांति लोबान और मोमबत्तियों आदि से लम्बे-चौड़े इंतज़ाम का माहौल बना दिया जाए, बल्कि एक सीधा-सादा, साफ-स्वच्छ और सम्मानजनक व्यवस्था हो।

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