शाकाहार के माध्यम से पर्यावरण को सुधारना
डा. अलेक्ज़ेंडर बर्ज़िन
आंकड़े स्पष्ट रूप से यह संकेत करते हैं कि मांस-उत्पादन और खपत पर्यावरण और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए कितना महँगा पड़ रहा है। आयुर्विज्ञान, धर्म, तत्त्वज्ञान और सामान्यबोध हमें मांस खाना बंद करने या फिर कम-से-कम उसकी उपभोग की मात्रा एवं आवृत्ति में कटौती लाने के लिए कहते हैं।