सोशल मीडिया के युग में संतुलित संवेदनशीलता का महत्व

संतुलित संवेदनशीलता की सहायता से हम दूसरों के प्रति और स्वयं अपने प्रति बहुत अधिक या बहुत कम संवेदनशील होने की अतिशयताओं , विशेषतः स्वयं अपनी और दूसरों की भावनाओं और हमारे व्यवहार से दूसरों पर पड़ने वाले प्रभावों की अतिशयताओं से बच सकते हैं। 22 अभ्यासों की एक श्रृंखला के माध्यम से हम अपने आप को इस संतुलन को हासिल करने के लिए तैयार कर सकते हैं। यह पूरा अभ्यास एक शांत, गैर-आलोचनात्मक चित्त और दूसरों की परवाह करने वाला मानस विकसित करने की बुनियाद पर टिका होता है। ये भाव विशेष तौर पर इससलिए महत्वपूर्ण हो जाते हैं क्योंकि सोशल मीडिया के इस वर्तमान युग में हम बहुत सा संवाद डिजिटल माध्यमों से करते हैं और अक्सर दूसरों की भावनाओं की अनदेखी कर जाते हैं।
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